मंदिरों में किसकी मूर्ति देख नाराज हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज?

द्वारका पीठ के पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद एक मंदिर में साईं की मूर्ति देखकर नाराज हो गए और उन्होंने अपने शिष्य को भी लताड़ लगा दी.

उन्होंने मंदिर में दर्शन के बाद पूछा कि राम-कृष्ण के मंदिर में साईं का क्या काम है?

घटना मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा की है. शंकराचार्य स्वारूपानंद सरस्वती के प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल होने पंहुचे थे. शिष्यों के निवेदन पर वे शहर के छोटी बाजार में बने श्री राम मंदिर और बड़ी माता मंदिर दर्शन करने पहुंचे थे.

राम मंदिर प्रांगण में लगी साईं बाबा की टाइल्स को देखकर स्वामी अविमुक्तेश्वानंद जी महाराज भड़क गए और नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि राम मंदिर में साईं प्रधान हैं या श्री राम जी प्रधान हैं. इसके बाद वह तुरंत मंदिर प्रांगण से बाहर आ गए.

वहीं, नजदीक स्थित माता मंदिर में भी साईं की मूर्ति लगी देखकर वह पुजारी राजा तिवारी से नाराज हो गए और कहने लगे कि जब भगवती हैं, तो इनकी क्या जरूरत है.

श्रीराम मंदिर पुजारी नंद किशोर शास्त्री ने बताया कि महाराज जी किसी शादी में सम्मिलित होने छिंदवाड़ा पहुंचे थे, लेकिन भक्तों के निवेदन पर वे मंदिर आने को राजी हो गए और आने के बाद मंदिर परिसर में साईं बाबा की टाइल्स देखकर नाराज होकर चले गए. पुजारी ने कहा कि यह निर्णय दोनों मंदिरों की समितियां लेंगीं कि बाबा (साईं) की प्रतिमा को हटाना है या नहीं.

स्वामी अविमुक्तेश्वानंद जी महाराज ने कहा, ”हम बड़ी प्रसन्नता से दर्शन करने पंहुचे थे लेकिन राम मंदिर और माता मंदिर, दोनों जगह जो हमने देखा उससे पता चलता है कि छिंदवाड़ा के हिंदुओं का खून विकृत हो गया है. दोनों जगह पर साईं की मूर्ति है. हमारे मंदिरों में उनका क्या काम है, और यदि साईं की पूजा करनी है तो राम और कृष्ण का क्या काम है? लेकिन यदि ये घालमेल है तो दूर से ही प्रणाम है. आगे से कभी भी हम छिंदवाड़ा में इन मंदिरों में प्रवेश नही करेंगे. बड़ी खुशी से हम आये थे और अब दुःखी होकर जा रहे हैं.”

बड़ी माता मंदिर से साईं की मूर्ति हटेगी या नहीं? यह तो मंदिर समिति ही तय करेगी. लेकिन श्री राम मंदिर में लगी साईं की चित्र वाली टाइल्स को हटा दिया गया है.